Dark Chocolate Health Benefits : अगर आप सोच रही हैं कि डार्क चॉकलेट खाएं या नहीं, तो अब आपका कन्फ्यूजन दूर हो सकता है! एक ताजा अध्ययन बता रहा है कि डार्क चॉकलेट महिलाओं की सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवनाइड्स शरीर की जलन को कम करते हैं, हार्मोन्स को संतुलित रखते हैं और दिल को भी दुरुस्त रखते हैं। खासकर पीरियड्स के दौरान डार्क चॉकलेट खाने से हार्मोन्स का बैलेंस बना रहता है, जिससे दर्द और जकड़न की शिकायत कम होती है। इतना ही नहीं, इसमें पाया जाने वाला मैग्नीशियम मूड स्विंग्स को भी कंट्रोल करता है, जिससे आपका मूड हमेशा फ्रेश रहता है। तो अगली बार डार्क चॉकलेट देखें, तो बिना हिचक इसे अपनी डाइट में शामिल करें!
खेती में महिलाओं का दम: अब बनेंगी आत्मनिर्भर
हमारे देश के गांवों में 60 फीसदी से ज्यादा महिलाएं खेती-बाड़ी में हाथ बंटाती हैं। सुबह से शाम तक खेतों में मेहनत करने के बावजूद, कई बार उनकी मेहनत का कोई मोल नहीं मिलता। वे अपने पति के साथ खेत जोतती हैं, बीज बोती हैं, फसल उगाती हैं, लेकिन मेहनताना? वो न के बराबर! हाल ही में आईआईएम अहमदाबाद, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड और डीईआई लैब के एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि खेती में 64.4 फीसदी श्रमिक महिलाएं हैं। लेकिन जब बात कृषि शिक्षा या खेती से जुड़े कारोबार की आती है, तो उनका हिस्सा सिर्फ 6-10 फीसदी रह जाता है। डीईआई लैब का लक्ष्य है कि अगले कुछ सालों में एक लाख से ज्यादा महिलाओं को कृषि शिक्षा, प्रशिक्षण और नौकरियों के जरिए सशक्त बनाया जाए। इससे न सिर्फ उनकी मेहनत को पहचान मिलेगी, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बनेंगी। अगर आपके आसपास कोई महिला किसान है या खेती में करियर बनाना चाहती है, तो agrobiz.org पर जाकर उनका नामांकन करवाएं। यह उनके लिए एक नई राह खोल सकता है!
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युद्ध में मसीहा बने डॉक्टर: महिलाओं की जिंदगी संवार रहे
इस समय दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध की आग जल रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं, और इसकी सबसे ज्यादा मार महिलाओं और बच्चों पर पड़ रही है। लेकिन इन सबके बीच कुछ लोग हैं, जो इंसानियत की मिसाल बन रहे हैं। यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाकों में एक ऐसे ही डॉक्टर हैं, जो चुपके-चुपके महिलाओं की मदद कर रहे हैं। 53 साल के डॉक्टर शेरी बाकशीव अपनी सफेद और गुलाबी एंबुलेंस के साथ गांव-गांव घूमते हैं। उनकी एंबुलेंस देखते ही महिलाएं अपने घरों से निकलकर लाइन में लग जाती हैं। युद्ध ने इन महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया है। डॉ. बाकशीव, जो स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, का कहना है कि युद्ध ने महिलाओं की सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। वे न सिर्फ उनका इलाज करते हैं, बल्कि मुफ्त दवाइयां देते हैं और जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी करते हैं। उनकी टीम न केवल शारीरिक बीमारियों का इलाज करती है, बल्कि इन महिलाओं को हिम्मत और हौसला भी देती है।
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