रेलवे प्रशासन इन दिनों यात्रियों की सुविधा बढ़ाने और नई तकनीकों के दम पर कमाल कर रहा है। अब भारतीय रेलवे ने एक और बड़ा कारनामा कर दिखाया है। रेलवे ने देश का सबसे लंबा ब्रिज बनाकर इतिहास रच दिया है। इस ब्रिज की खासियत ये है कि अब आप ट्रेन में बैठकर हवाई यात्रा जैसा रोमांच महसूस करेंगे। आइए, इस खबर में जानते हैं कि ये शानदार ब्रिज कहां बना है और क्या है इसकी खासियत।
कहां बना है ये शानदार ब्रिज?रेलवे प्रशासन ने मध्य प्रदेश के कटनी जंक्शन पर इस अनोखे ग्रेड सेपरेटर ब्रिज को तैयार किया है। ये ब्रिज पूरी तरह से तैयार हो चुका है और इसे कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) की मंजूरी भी मिल गई है। बहुत जल्द इसका उद्घाटन होने वाला है। इस ब्रिज की मदद से ट्रेनें अब पूरे शहर को बायपास करके चल सकेंगी, जिससे यात्रा और भी आसान हो जाएगी।
ये ब्रिज पूरी तरह से एलिवेटेड है, यानी इसके मजबूत पिलरों पर 15.85 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाया गया है। इस ब्रिज का निर्माण कार्य 2020 में शुरू हुआ था और 2025 में इसे पूरा कर लिया गया है। ये अपने आप में एक इंजीनियरिंग का कमाल है!
कितनी आई ब्रिज की लागत?इस मेगा प्रोजेक्ट में दो एलिवेटेड ग्रेड सेपरेटर बनाए गए हैं। इनमें से एक (अप) पूरी तरह तैयार है, जबकि दूसरे (डाउन) पर अभी काम चल रहा है। इस ब्रिज का निर्माण पीएम गति शक्ति योजना के तहत किया गया है। इसकी लागत करीब 580 करोड़ रुपये है, जबकि अप और डाउन दोनों सेपरेटर की कुल लागत 1247.68 करोड़ रुपये के आसपास है।
क्यों जरूरी था ये ब्रिज?कटनी में देश का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड, न्यू कटनी यार्ड, स्थित है। यहां पर पैसेंजर और गुड्स ट्रेनों की भारी आवाजाही के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या रहती थी। इससे ट्रेनों की समयबद्धता (पंच्युअलिटी) प्रभावित होती थी और ट्रेनों की संख्या बढ़ाने में भी मुश्किल आती थी। इस ब्रिज के बनने से अब ये सारी समस्याएं हल हो जाएंगी।
रेलवे के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सिंगरौली और बिलासपुर की ओर से आने वाली ट्रेनें न्यू कटनी जंक्शन और कटनी मुड़वारा जंक्शन पर रुकेंगी। इससे न सिर्फ यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि रेलवे के संचालन में भी तेजी आएगी।
किन्हें मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?इस ब्रिज का सबसे बड़ा फायदा कोटा और बीना की ओर जाने वाली ट्रेनों को होगा। इससे ट्रेनों की समयबद्धता में सुधार होगा और पश्चिम मध्य रेलवे व दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की कार्य क्षमता बढ़ेगी। जरूरत पड़ने पर ट्रेनों की संख्या और बढ़ाई जा सकेगी।
यात्रियों के लिए सफर अब और सुगम होगा, क्योंकि यार्ड में ट्रैफिक की समस्या कम होगी। साथ ही, जो ट्रेनें थ्रू चलती हैं, उन्हें अब कटनी में रुकने की जरूरत नहीं होगी। वे सीधे नॉन-स्टॉप जा सकेंगी।
कोयले की सप्लाई होगी तेजकटनी यार्ड में कोयला लोड करने वाली ट्रेनों की संख्या काफी ज्यादा है। इस ब्रिज के बनने से कोयला पावर प्लांट तक तेजी से और समय पर पहुंचेगा। कुछ समय पहले पावर प्लांट में कोयले की कमी की खबरें आई थीं, लेकिन अब इस ब्रिज के कारण ऐसी समस्याएं नहीं होंगी।
ब्रिज की खासियतेंइस ग्रेड सेपरेटर ब्रिज के निर्माण में 15,000 टन स्टील और 1.50 लाख घन मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा 1.90 लाख घन मीटर मिट्टी पर काम किया गया है। ब्रिज में चार रेलवे ओवरब्रिज (आरओआर) बनाए गए हैं, जिनमें सबसे लंबा स्पैन 91.40 मीटर का है। ये आंकड़े इस ब्रिज की भव्यता को और बढ़ाते हैं।
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